Success Story of Dhirubhai Ambani in Hindi
धीरूभाई अंबानी: बिजनेस जगत के गुरु !
धीरूभाई अंबानी जो बिजनेस के महारथी के नाम से जाने-माने बिजनेस मैन हैं,जिन्होंने अपने बेहतरीन अंदाज से ठेले पर पकोड़े बेचने के सफ़र से एक Reliance Industry जैसी बड़ी कंपनी की स्थापना की थी, हालांकि ये सफर उनके लिए इतना आसान नहीं था पर उनकी अद्भुत सोच ने उन्हे ये करने पर मजबूर कर दिया |
बड़ा सोचो जल्दी सोचो और बहुत आगे की सोचो क्योंकि विचारों पर किसी का अधिकार नहीं होता, ऐसा मानना था हमारे धीरूभाई अंबानी जी का, आज हम धीरूभाई अंबानी जी के बारे में बात करने जा रहे हैं।
इनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को चोरवाड़ गुजरात में हुआ था, चोरवाड़ जो एक छोटा सा गांव, जो मछली पकड़ने के लिए जाना जाता था। उनका पूरा नाम धीरजलाल गोवर्धन अंबानी है,
वह तो बचपन में व्यापार नाम से इतने प्रभावित हुए, कि उनके व्यापार करने का ठान लिया था और दिन-रात उसी के ऊपर रिसर्च किया करते थे और उन्होंने हाई स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी उनका ऐसा मानना था कि दुनिया में पढ़े लिखे व्यक्ति बस ही पैसे नहीं कमा सकते कोई भी पैसे कमा सकता है, उनकी इस सोच को कायम रखा |
उन्होंने एक पकोड़े का ठेला खुलकर अपनी जर्नी को शुरू किया कुछ साल तक पकोड़े बेचने के बाद 1948 में अपने भाई रमणिकलाल की मदद लेकर उनके साथ चले गए वहां उन्होंने और भी कई कामों को अंजाम दिया और उनके बिजनेस करने की सोच के चलते वह कुछ ना कुछ बड़ा करने के बारे में खोजते रहते हैं।
एक बार की बात जब वह एक पेट्रोल पंप पर ₹300 महीने की तनख़्वाह पर काम करने करने लगे थे, 19th में यह पैसे बहुत ज्यादा कहलाते थे वह पार्ट टाइम कोई ना कोई काम भी करते रहते थे।
एक बार उन्हें एक खिलौने बेचने वाला मिला जो ₹100 का एक खिलौना बेचता था तो उन्होंने उनसे पूछा कि आप खिलौने कितने में खरीदते हो, उस खिलौने वाले ने कहा मैं 10 खिलौने खरीदता हूं तो ₹70 का पड़ जाता है, तभी उन्हें एक काम करने का सुझाव आया,
वो उसी दुकानदार से मिलने पर वह धीरुभाई बोले मुझे खिलौने बेचने है, कितने का दोगे दुकानदार ने ₹70 का एक बताया उन्होंने एक ऑफर दिया कि मैं तुमसे 100 खिलौने खरीद लूंगा तब कितने का लगाओगे उसने बोला ₹50 का लगा दूंगा,
धीरुभाई ने अपने पेट्रोल पंप पर काम करने वाले दोस्तों को एक काम करने की सलाह दी तोतो वह सभी मान गए और उनका ऑफर उन्हें बहुत पसंद आया सुबह भी उसी दुकान से खिलौने खरीदने लगे तो धीरुभाई को एक एक व्यक्ति से ₹200 का लाभ होता था और 10 खिलौने से ₹2000 का लाभ होने लगा।
ऐसा करने से उनकी Passive Income Generate हो गई, कुछ साल काम करके फिर इन्होंने ऐ काम छोड़कर दूसरे काम मसाले और पॉलिएस्टर के काम अपने चचेरे भाई चंपकलाल के साथ मिलकर शुरू किया,
कुछ साल इसमें मेहनत करने के बाद इनके बिजनेस का टर्नओवर ₹10,00,000/साल हो गया फिर इन दोनों भाई के बीच में कुछ समस्या हो गई और इन दोनों के बिजनेस करने का तरीका भी अलग था, तो दोनों अलग हो गए फिर इसके बाद टेलीकॉम इलेक्ट्रिसिटी ऑफ पेट्रोलियम में धीरे-धीरे आते गए और इन कंपनियों को अच्छे मुकाम पर पहुंचा कर कुछ साल बाद उनका 6 जुलाई 2002 को निधन हो गया लेकिन आज भी इनके बिजनेस करने के तरीके से लोग याद करते हैं |
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