भगवद गीता की 15 बातें..
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉक Saphalzindagi.com में, आपको तो पता ही है, कि हम एक से एक बढ़कर लेख लाते हैं, जिससे आपको एक प्रेरणा मिलती है, जिनको पढ़कर आप एक नई ऊर्जा से अपने आपको पाते हैं, ऐसी एक नई ऊर्जा से पतें है,
ऐसी एक नई ऊर्जा के लिए आपके एक प्रेरणा के लिए हम भगवद गीता जोकि श्री कृष्णा द्वारा अर्जुन को कही गई बातें जिनमें दुनिया का पूरा ज्ञान है, और सारे प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं, तकरीबन 700 श्लोक और 18 अध्याय मैं से कुछ 15 बातें मैं आपके लिए इस लेख के द्वारा लाया हूं।
युवा पीढ़ी की सफलता के ज्ञान से संबंधित हमारी जानकारी आपको बताती है कि कुछ ऐसी पंक्तियां कुछ ऐसा ज्ञान जिनको जिंदगी में आप एक नए मुकाम पर पहुंचने में पाएंगे इन्हे आप सिर्फ पढ़िए नहीं बल्कि अपने जीवन में अपनाइए भी उसी से इसका पूरा लाभ आपको मिलेगा।
भगवद गीता की 15 बातें जो जीवन में बहुत काम आती है जानिए –
परिचय – Introduction
जैसा कि हम सभी को पता है की भगवद गीता सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि संसार के सभी प्रश्नों कि एक उत्तर मिला है, इसमें दुनिया भर का ज्ञान शामिल है, हिंदू धर्म पर आधारित भगवद गीता युवाओं के लिए एक नया वरदान के रूप में सामने आई है,
इस किताब में दुनिया के सारे प्रश्नों के उत्तरों का जवाब दिया गया है, इस किताब की बातों को अगर आप जीवन में उतारते हैं, तो आप अपने आपको एक नए राह पर पाते हैं, जिस राह पर पहुंचने का कुछ लोगों का सपना होता है, अपने ज्ञान के चलते और इस किताब के चलते और एक पॉजिटिव एप्रोच के चलते अपने जीवन का सही मार्ग, सही दिशा पा लेते हैं किताब आपको काफी कुछ सिखाती है।
कर्म करो फल की चिंता मत करो।
श्री कृष्ण कहते हैं कर्म करो फल की चिंता मत करो, हमें अपने कर्मों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, अपने फल की तुलना में, क्योंकि हमारे जैसे कर्म रहेंगे वैसा ही हमारा फल रहेगा, हम अगर बिना रुके कर्म करते जाएंगे, तो एक ना एक दिन हमें उसका फल बहुत ही बड़े आकार में मिलेगा ही मिलेगा,
इस बात को श्री कृष्ण भगवद गीता की किताब में बड़े आसान शब्दों में बताते हैं कि हमें अपने कर्म पर इतना ध्यान देना चाहिए कि हम जब अपने कर्म करें तो हम अपने फल की अपेक्षा ना करें, उस कर्म को करते जाएं और बड़ी उपलब्धि हासिल करें।
भगवान् को याद शरीर से नहीं मन से करना चाहिए।
भगवान को हम जब तक शरीर से याद करते हैं, तब तक भगवान हमारे प्रतिरूप में बात नहीं करते हैं, जब तक हम ईश्वर को अपने मन में बसा कर उन्हें सच्चे दिल से याद नहीं करेंगे, तब तक भगवान खुद हमारे प्रत्यक्ष नहीं आएंगे क्योंकि भगवान सिर्फ उन्हीं लोगों के साथ रहते हैं, जो उन्हें सच्चे दिल से उन्हें मानते हैं, उनका आदर सम्मान करते हैं, इसलिए श्री कृष्ण अर्जुन को बताते हुए कहते हैं, कि हम अगर भगवान को सच्चे मन से याद करते हैं, तो भगवान हमारा साथ जरूर देते हैं हमारे अंदर एक सकारात्मकता भर देते हैं और एक नई ऊर्जा का निर्माण करते हैं, जिससे हम अपने जीवन को सफलता के मार्ग पर खड़ा कर देते हैं और भगवान उन्हीं का साथ देते हैं जो उन्हें मन से चाहते हैं।
स्नेह और सदाचार की भावना रखनी चाहिए।
श्री कृष्ण कहते हैं कि अगर हमारे अंदर शिष्टता और सदाचार स्नेह का प्रेम भाव होगा तो हम लोगों को ज्यादा अच्छी तरह समझ पाएंगे, उनसे अच्छे व्यवहार रख पाएंगे हम समाज का भला कर पाएंगे, लोगों में अच्छी सीख दे पाएंगे, लोगों को भलाई करने के लिए प्रेरणा दे पाएंगे अगर हमारे अंदर सदाचार और प्रेम भाव की भावना होती है, तो पूरी दुनिया हमारे साथ होती है, पूरी दुनिया हमारे लिए खड़ी रहती हैं, क्योंकि हम जितना ज्यादा प्रेम भाव लोगों के प्रति रखेंगे उतना ही प्रेम भाव लोग हमें देंगे।
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प्रेम भाव से दुनिया का अस्तित्व है और प्रेम भाव से ही दुनिया का विनाश है प्रेम भाव के बिना जीवन असंभव है क्योंकि अगर लोगों के बीच प्रेम भाव नहीं होगा तो लोग एक दूसरे को कभी समझ ही नहीं पाएंगे, एक दूसरे में ईर्ष्या की भावना को पैदा करके इस पूरी सृष्टि का विनाश का कारण बनेंगे।
क्रोध पर नियंत्रण करना।
श्री कृष्ण कहते हैं कि क्रोध को पी जाना ही बेहतर है, क्योंकि हमें क्रोध जब आता है तो काफी सारी नुकसान कर देता है, गुस्सा हमें आता है पर उस गुस्से को हम उतारते किसी और व्यक्ति पर हैं,
जिससे दोनों के मध्य बुराई की भावना उत्पन्न होती है, इसलिए श्री कृष्ण ने क्रोध को बहुत ही खराब माना है, और कहा है कि व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए, उसको अगर किसी बात पर क्रोध आ भी रहा है, तो उस बात को वह शांति पूर्वक सुने समझें और उस परिस्थिति को देखकर उसमें सुधार करें ना कि क्रोध करें.
क्रोध एकमात्र ऐसा जरिया नहीं है, क्रोध से कुछ भी हासिल नहीं होता है ना ही कुछ सुधार होता है, क्रोध से सब कुछ बर्बाद ही होता है, इसलिए क्रोध ना हम कभी करें और ना करने दें, इस बात को अगर जीवन में अपना लिया तो आप लोगों को कुछ नए नजरिए से देखेंगे जिससे एक नई ऊर्जा उत्पन्न होगी और इस ऊर्जा से आपके जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ेगा और आपकी जिंदगी काफी हद तक निखरकर सामने आएगी।
मिट्टी से बने हो मिट्टी में ही मिल जाओगे ।
श्रीकृष्ण ने क्या खूब कहा है, कि हम व्यक्ति एक कठपुतली हैं ,जोकि आते हैं इस दुनिया में और चले जाते हैं, उनके ना तो आने का समय निश्चित रहता है और ना ही जाने का समय निश्चित रहता है, एक सीमित समय के लिए आते हैं और इस दुनिया से चले जाते हैं, इस बात को श्री कृष्णा अपनी इन पंक्तियों में कहते हैं कि व्यक्ति मिट्टी से ही बना है और वह मिट्टी में मिल जाता है,
उसका अस्तित्व सिर्फ इतना ही है, इसलिए व्यक्ति को लोभ, लालच की भावना नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि ना तो वह कुछ लेकर आता है, और ना ही वह कुछ लेकर चला जाता है, वह जिंदगी भर काम करता अपने दूसरों के लिए है, और मरने के बाद वह दूसरों के लिए ही सब कुछ छोड़ जाता है, इसलिए हमें लोभ, लालच की भावना छोड़कर सदाचार की भावना अपना लेनी चाहिए, क्योंकि इसी में सारे जगत की भलाई है।
क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाओगे।
श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति इस दुनिया में ना कुछ लेकर आया था और ना कुछ लेकर जाता है, फिर व्यक्ति इतना लालच, लोभ और अहंकार किस बात का दिखाता है, जब उसके पास अपना कुछ भी नहीं है, उसके पास उसका नाम भी खुद का नहीं है वह भी दूसरे ही देते हैं, तो लोग अपनी लालच क्यों दिखाता है?
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व्यक्ति एक क्यों भूल जाता है, कि वह इस दुनिया में कुछ लेकर नहीं आया था, और ना ही कुछ लेकर जाने वाला है, पर वह लोगों में बुराई पैदा करता है, लोगों को नुकसान पहुंचाता है, इस जगत के स्त्रोतों का गलत इस्तेमाल करता है पर वह यह भूल जाता है कि वह कुछ लेकर जाने वाला नहीं है सब कुछ यहीं छूट जाएगा तो लालच और लोभ किसी बात का नहीं रखना चाहिए,
हमें लोगों से प्रेम भावना का व्यवहार रखकर इस दुनिया को अपना मान कर अपनी जिंदगी इस दुनिया पर ही निछावर कर देनी चाहिए, और उन्हीं के लिए काम करना चाहिए क्योंकि अगर व्यक्तियों में स्नेह भावना का भाव आ गया तो यह दुनिया बदलते देर नहीं लगेगी।
चिंता छोड़, धैर्य रखना सीखो।
इस दुनिया के लोगों की यही परेशानी है कि वह किसी ना किसी बात को लेकर चिंता करते रहते हैं, और दूसरों की जिंदगी में पर नजर डालते हैं, और देखते हैं कि उनकी जिंदगी कितनी आसान है, कितनी अच्छी है, पर वह अपनी जिंदगी की बुराई करते रहते हैं, चिंता करते रहते हैं, हर व्यक्ति को जीवन में किसी ना किसी बात की चिंता परेशानी रहती है, पर उसे अपनी जिंदगी कभी अच्छी नहीं लगती है,
उसे दूसरों की जिंदगी अच्छी लगती है, उसी पर उसकी नजर रहती है, इस बात को श्री कृष्ण कुछ यूं कहते हैं कि हमें चिंता छोड़कर ध्यान रखना चाहिए जीवन में जो कुछ भी होगा अपने निश्चित समय पर होगा ही उस पर हमारा कोई हाथ नहीं है, यह हमारे हाथ में नहीं है, इसलिए चिंता छोड़कर हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगर काम अच्छा होगा तो सब अच्छा होगा इसलिए चिंता छोड़ कर धैर्य रखो जो होना है, वह होकर रहेगा इसमें ना हम कुछ कर सकते हैं और ना ही कुछ कर पाएंगे यह हमारे हाथ में नहीं है, इसलिए अपने कर्म पर फोकस करें, उसी से इस जीवन का निर्माण और विनाश होगा।
त्याग को अपनाओ।
जिंदगी में त्याग बहुत अहम भूमिका निभाता है जो व्यक्ति त्याग करना जानता है, वह अपने जीवन में वह सब कुछ पा लेता है, जिसकी वह चाह रखता है, वह ऐसे मुकाम पर पहुंच जाता है जहां पर कभी वह जाने कि सिर्फ सोचा करता था, ऐसे मुकाम को हासिल करने के लिए हमें अपनी जिंदगी में काफी कुछ छोड़ना पड़ता है,
हमें अपने ऐसो आराम और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को छोड़कर कुछ ऐसी जिंदगी को अपनाना पड़ता है, जिसको हम कभी जीना नहीं चाहते हैं पर उस जिंदगी को जी कर हम अपने आने की आने वाली जिंदगी को इतना बेहतर बना लेते हैं, कि हमारा पूरा जीवन सफल हो जाता है इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं कि जीवन में त्याग करते रहना जरूरी है,
अगर हम त्याग नहीं करेंगे तो इस जीवन का कोई उद्देश्य नहीं रहेगा जीवन में त्याग करना जरूरी है, त्याग से हमारे खुद में परिवर्तन होता है और जिंदगी में भी सुधार होता है इसलिए त्याग करते रहना चाहिए।
परिश्रम पर विश्वास रखो।
श्री कृष्ण कहते हैं कि हमें अपने परिश्रम पर विश्वास रखना चाहिए, अगर हम अपने परिश्रम पर विश्वास रखेंगे, तो हमें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ेगा, अगर हम अपने कर्म परिश्रम मेहनत पर अटूट विश्वास रखकर उसे कायम रखेंगे तो हमें उससे बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे, वह परिणाम आपको जीवन जीने में बहुत आसान होंगे क्योंकि एक परिश्रम ही है जो एक रंग को राजा बना देता है और राजा को रंग बना देता है।
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अगर आप परिश्रम और सही निर्देश और सही दिशा में काम करते हैं, तो जीवन में सफल होना पक्का ही है पर अगर आप अपने परिश्रम पर विश्वास नहीं रखते हैं उसमें आप धोखा करते हैं तो आप याद रखना कि आप धोखा भी खुद के साथ कर रहे हो इससे ना ही किसी और की जिंदगी बनेगी और ना ही कुछ होगा आप धोखा करोगे तो खुद के साथ इसलिए अपने परिश्रम पर इतना विश्वास रखें कि जो आप कर रहे हैं, वह आपको एक ऐसा परिणाम दे जिसकी आपने कभी अपेक्षा भी नहीं की होगी।
लोगो को स्नेह से जीतो।
लोगों को स्नेह प्रेम भाव से ही जीता जा सकता है, अगर हमें लोगों के बीच रहना है, तो उनसे सदाचार का व्यवहार रखना जरूरी होता है, अगर हम उनसे प्रेम भाव से बात करते हैं, तो वह भी वैसे ही हम से बात करते हैं, हम अगर उनका आदर सम्मान करेंगे तो वह भी हमारा आदर सम्मान करेंगे, क्योंकि सम्मान देने से ही मिलता है, और सम्मान प्रेम भाव से ही हासिल किया जा सकता है,
बिना स्नेह प्रेम भाव के लोगों को जीतना बिल्कुल नामुमकिन सा है, अगर हम लोगों से अच्छे से बात नहीं करेंगे तो लोगों को हम बिल्कुल भी पसंद नहीं आएंगे और इससे हमारी हार होगी, अगर हमें लोगों को जीतना है उनके मन में ह्रदय में एक अच्छी जगह बनानी है तो उनका सम्मान और उनके लिए प्रेम भाव हमारे अंदर उपस्थित होना चाहिए ।
जैसा करोगे बैसा ही पाओगे।
श्री कृष्ण कहते हैं कि हमारे कर्म ही हमारा परिणाम होता है, क्योंकि जैसी कर्णी होगी वैसी ही भरणी जैसा हम कर्म करेंगे वैसा ही हम पाएंगे, अब ऐसा ही हम भरेंगे हमारे कर्म हमारे कल को दर्शाते हैं, हम 1 दिन के कर्म करने से कोई महान व्यक्ति नहीं बन जाएंगे, हमें अपने कर्म को लगातार करते रहना पड़ता है, और सफल होने के बाद भी अच्छे परिणाम आने के बाद भी हमें उन्हें लगातार करते रहना पड़ता है,
उन्हें कायम बनाने के लिए क्योंकि एक सफल व्यक्ति को तभी मिलती है जब वह उसकी कदर करना सीख जाता है, उसे कायम रखना सीख जाते अगर व्यक्ति सफलता को कायम रखना नहीं सीखता है तो वह सफलता उसके पास कभी आती भी नहीं है, इसलिए श्री कृष्ण अपनी आसान पंक्तियों में कहते हैं – कि आप जैसा करोगे वैसा ही पाओगे इसलिए अपने कर्म को इतना मजबूत इतना सदाचार और शिष्ट भरा बनाइए कि आप सब कुछ हासिल कर पाए जिसकी आप चाह रखते हैं
धर्म अपनाओ |
श्री कृष्ण कहते हैं कि धर्म को अपनाना हमारे अस्थिस्व में है वही हमारी पहचान है, हम अपने धर्म से पहचाने जाते हैं, क्योंकि हमारा जितना अच्छा धर्म होगा, उतनी अच्छा हमारा आचरण होगा, अपने आचरण को सुंदर बनाने के लिए हमें अपने धर्म को और भी बेहतर बनाना पड़ेगा,
हम अपने धर्म को मानते हैं पर उन्हें अपने जीवन में उतार कर अपना कर नहीं देखते हैं, जब तक हम अपने धर्म को अपने जीवन में नहीं उतारेंगे, तब तक हम में कोई बदलाव नहीं आएगा, और जब तक जीवन में बदलाव नहीं आएगा तब तक आप सफलता के रास्ते तक नहीं पहुंच पाओगे, हर व्यक्ति चाहता है कि वह सफलता हासिल करें पर वह अच्छी बातों को नहीं अपनाना चाहता है, पर आप अगर सफलता के मार्ग पर जाना चाहते हैं, तो आप जिस धर्म से हैं, उस धर्म को अपनाइये उसे मानिए उस की किताबें पढ़ी है, ताकि आपको उसके बारे में और ज्यादा ज्ञान मिल सके, ज्यादा आप जान सके।
सकारतात्मक रहो।
श्री कृष्ण कहते हैं कि हमारी सकारात्मकता हमारी बातों और हमारे काम करने के तरीकों से झलकती है, जितना हम सकारात्मकता से अपना काम करेंगे, उस काम को सफल होने की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ जाएगी, एक सकारात्मक व्यक्ति हर एक स्थान पर सम्मान पाता है, उसकी सकारात्मक उसकी बातों से प्रतीत होती है, और अपनी बातों से लोगों का मन मोह करना जानता है, सकारात्मकता अगर काम में आएगी तभी वह काम सफल होगा नकारात्मकता हमें हमेशा हार का सामना करवाती है, इसलिए सकारात्मकता रखो और काम करते रहो।
आत्मा अमर है।
श्रीकृष्ण ने क्या खूब कहा है, आत्मा अमर है, यह हमारा देह एक रेत की समान है, जो आखिरकार मिट्टी में मिल ही जाता है, पर हमारी आत्मा अमर है, ना इसका कोई अंत है, ना ही कोई इसका मरण है, हमें कोई भी, हमारे शरीर को मार सकता है, पर हमारे आत्मा को नहीं मार सकता है, वह कभी मरती ही नहीं है,
व्यक्ति को कभी मारा नहीं जा सकता है, इस बात को श्रीकृष्ण अपनी भगवद गीता की बातों में बताते हैं कि व्यक्ति कभी मरता नहीं है उसका शरीर मर जाता है, पर आत्मा से हमेशा के लिए जिंदा रहता है,
आप स्वयं अपने जीवन के निर्माता है।
इन पंक्तियों के द्वारा श्री कृष्ण कहते हैं कि आप खुद ही अपने जीवन के निर्माता हैं, आप जैसा बीज बोएंगे वैसा ही काटेंगे आप जितना परिश्रम करेंगे, आप उतनी ही अच्छे परिश्रम परिणाम पाएंगे, आप जीवन में जो स्थान की चाह रखते हैं उस स्थान पर सिर्फ आप एक ही तरीके से पहुंच सकते हैं वह जरिया है आपकी मेहनत आप जितनी ज्यादा मेहनत करके अपना अच्छा प्रस्तुत करेंगे।
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उतना ही अच्छा आप पाएंगे भी आप खुद अपने जीवन के निर्माता हैं, आप अपने जीवन को बना सकते हैं, बिगाड़ भी सकते हैं, पर लाखों लोग अपने जीवन में कुछ ऐसी आदतों और को अपना लेते हैं, जिससे वह अपनी राह कभी नहीं खोज पाते,
वह रास्ते से भटक जाते हैं, हर एक व्यक्ति बड़े-बड़े स्थान अपने जीवन में चाहता है, पर वह उसके लिए काम नहीं करता है और इसका परिणाम है कि वह कुछ बन नहीं पाता है आपको अगर अपने जीवन में कुछ करना है तो आपको खुद अपने जीवन के निर्माता बनना पड़ेगा और उसे निर्माण करना पड़ेगा, उससे एक नई राह दिखाना नहीं पड़ेगा जब तक आप नहीं सीखते हैं, तब तक आप जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते हैं, इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं कि आप अपने जीवन के स्वयं ही निर्माता हैं इसलिए आप अपना ज्यादा समय अपने काम को करने में ही निकाले।
उपसंहार – Conclusion
श्री कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान जो आज पूरी दुनिया भर में एक वरदान के रूप में साबित होता है, हजारों साल पहले इस दुनिया के सारे प्रश्नों का एक किताब में समाधान दे गए थे, यह किताब हमें एक नए जीवन दाहिनी देती है,
जिससे हम अपने जीवन की राह को और आसान बना लेते हैं, बहुत बड़ा ज्ञान देती है इसे एक अच्छे होगा, सकारात्मक सोच और और क्रिएटिव थिंकिंग से इस किताब को पढ़ने से हम अपने जीवन में काफी कुछ बदलाव देख पाते हैं, इस किताब में से ही बातें आप जीवन में जरूर अपनाएं।
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- भगवद गीता की और बातों को जाने जानिए –
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