Success Story of MDH Masala in Hindi.
आज हम MDH Masala उद्योग के Founder Mahashay Dharampal Gulati Ji के बारे में बात करेंगे, कि कैसे उन्होंने MDH Masala को भारत की Top Industries में शामिल किया है।
इसे ऐसे मुकाम पर पहुंचाने में इन्हे कितनी कड़ी मेहनत लगी और कितने संघर्षों का सामना करना पड़ा, चलिए तो आज हम इन्हीं के बारे में आज हम आपको बताएंगे और इन्ही के बारे में बात करेंगे चलिए तो…
इस कहानी की शुरुआत होती है, 1923 से जब Mahashay Dharampal Gulati Ji का जन्म हुआ था, उनका जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था, उनके पिता का नाम महाशय चुन्नी लाल था और उनकी माता का नाम चनन देवी था, उनका पूरा परिवार काफी धार्मिक विचारों वाला था और वह आर्य समाज से जुड़े हुए थे,
जैसा कि आपको पता है कि Mahashay Dharampal Gulati Ji मिर्च मसाले का काम किया करते है, और यही काम उनके पिता किया करते थे और Mahashay Dharampal Gulati Ji ने अपने पिता के ही व्यापार को आगे बढ़ाया, उनके पिता जो कि Social Organizer में काम किया करते थे और उसी के साथ में मिर्च मसालों की दुकान थी और उसका नाम ‘महाशय दि हट्टी’ दिग्गी मिर्च वाले, उनके पिता ने अपने क्षेत्र में अपने व्यापार से काफी नाम कमाया था,
और Mahashay Gulati Ji को पढ़ाई लिखाई मैं कुछ ज्यादा रुचि ना होने के कारण वे पांचवी में फेल हो जाने से उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी, और उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ने के बाद, उनके पिता ने ठान लिया कि मैं इसे कम से कम अपने पैरों पर खड़ा होना तो जरूर सिखाऊंगा।
उन्होंने Gulati Ji को काम के लिए एक बढ़ई के पास भेज दिया और वहां लकड़ी का काम करने लगा था पर वहां 7 महीने काम करने के बाद कुछ खास काम में मन नहीं लग पा रहा था तो Gulati Ji ने वह काम जल्द ही छोड़ दिया।
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यही नहीं उन्होंने कई जगह काम किए थे जैसे कि चावल की फैक्ट्री में काम, कपड़ों की दुकान में काम, हार्डवेयर कंपनी में काम किया और कई काम इन्होंने अपने बचपन में ही किए जिस समय मैं बच्चे पढ़ते हैं उस समय में यह काम किया करते थे,
इन्हें कोई काम पसंद नहीं आया करता था, और Dharampal Gulati Ji किसी भी चीज में अपना मन नहीं लगा पा रहे थे, ऐसा करते करते उनकी 16 साल की आयु हो गई, तो उनके पिता ने हालातों को देखते हुए इन्हें अपनी ही दुकान पर बैठा दिया, और वहां से इनकी मिर्च मसाले की दुनिया में इनकी शुरुआत हुई,
इन्हें अपनी दुकान पर काम करने में मन लगने लगा था और इनके पिता ने अपने बेटे को जिम्मेदार व्यक्ति बनाने का जो वचन लिया था उसे भी पूरा कर दिया था, और 18 वर्ष की आयु आते आते Gulati Ji की शादी करवा दी गई, शादी के बाद वह MDH “महाशय दी हट्टी” के कारोबार को संभालने लगे,
सब कुछ सही चलने लगा था, Gulati Ji भी अपने कारोबार में सेट हो गए थे, फिर जब इनकी आयु 24 साल की थी तक जो हुआ वह किसी ने कल्पना भी नहीं की थी जैसा कि मैंने आपको बताया था की ये पाकिस्तान से थे,
तो उस समय भारत और पाकिस्तान के विभाजन में Gulati Ji भी शामिल हुए थे, और Mahashay Dharampal Gulati Ji का विभाजन में सब कुछ चला गया था, दुकान भी चली गई थी और विभाजन के समय लड़ाई झगड़ा मारपीट भी खूब हुई थी पाकिस्तानी हिंदुओं पर खूब अत्याचार करने लगे थे दुकानों को लूटने लगे थे,
उनके अत्याचार बढ़ने से उन्होंने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया और ये सियालकोट से निकलते वक्त तो उन्हें रास्तों पर जहां देखो वहां लासें ही पड़ी नजर आ रहीं थीं इसलिए वे छुपते छुपाते सियालकोट से भारत में अमृतसर लौट आए और वहां रात रुकने के बाद वह दिल्ली अपनी बहन के घर आ गए,
पाकिस्तान से तो जैसे तैसे निकल आए थे पर उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया था, जो भी उनका कारोबार था घर गिरस्ती सब कुछ तबाह हो गया था,
ये दिल्ली आ तो गए थे पर दिल्ली उनके लिए नया था और नए लोग और उन में अपनी पहचान बना कर अपना व्यापार फिर से शुरू करना इतना आसान नहीं था, और दिल्ली में उन्होंने फिर से जीरो से शुरुआत की हालांकि वह ₹1500 रुपए लेकर निकले थे सिर्फ उनके पास वही पैसे थे और उसके अलावा कुछ भी नहीं था, और उन्हीं ₹1500 रुपयों से शुरू करके उन्होंने इतनी बड़ी Masala Industry खड़ी खड़ी की,
उन्होंने ₹700 से एक टांगा खरीदा और कनाओयूट से करोल बाग तक सवारी ढोने लगे, और टांगा चलाकर अपने परिवार का गुजारा नहीं चला पा रहे थे, तो फिर उन्होंने फैसला लिया कि मैं अपने पुराने व्यापार को ही यहां जमाने की कोशिश करूंगा,
तो उन्होंने कुछ पैसे ब्याज पर उधार उठाकर अपने मसालों का काम फिर से शुरू किया और इस काम का उन्हें काफी ज्ञान था तो इसे उन्हें शुरू करने में ज्यादा तकलीफ नहीं हुई।
और कुछ साल इसमें कड़ी मेहनत करके और अपनी इमानदारी से लोगों को अपने बनाए हुए सामान की आदत डलबाई और कुछ सालों के बाद इनका यह व्यापार फायदे में आ गया और धीरे-धीरे अपना व्यापार जमाते जा रहे थे।
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Mahashay Dharampal Gulati Ji ने सन 1954 के करीब इंडिया का पहला Modern Masala Store शुरू किया जिसका नाम रूपक स्टोर था, और वह स्टोर उन्होंने बाद में अपने भाई को चलाने के लिए दे दिया और वह आगे बढ़ते गए,
उन्होंने 5 साल कड़ी मेहनत करने के बाद 1958 में उन्होंने MDH Masala Factory बना डाली, और अपने जीवन में उतार-चढ़ाव करते करते वे और भी आगे बढ़ते गए।
और इस तरह लोगों के विश्वास से उन्होंने अपनी MDH Factory खोल डाली और धीरे-धीरे उसमें मेहनत करते गए और आज MDH मसाले विश्व में 120 से भी ज्यादा देशों में अपनी पकड़ बना चुका है, और 100 से भी ज्यादा MDH के Product बेच रहा है।
गुलाटी जी एमडीएच के Brand Ambassador भी रह चुके हैं, और 2020 मैं MDH Masala Private limited की Market Valuation ₹2000 करोड़ की हो गई है, और इसे उस मुकाम तक पहुंचाने का पूरा श्रेय Mahashay Dharampal Gulati Ji को ही जाता है।
भारत की पसंद MDH Masala दुनिया में अपना नाम बना चुका है और Mahashay Dharampal Gulati Ji लोगों के लिए एक प्रेरणा के रूप में सामने आए हैं, की हमें किसी भी हालातों से डरना नहीं चाहिए और उससे डटकर मुकाबला करना चाहिए और अपने काम को पूरे जोश और मेहनत से करो तो वह 1 दिन सफल जरूर होता है, चलिए तो
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Note : Mahashay Dharampal Gulati Ji Success Story of MDH Masala in Hindi की सफलता की कहानी आपको अगर पसंद आई हो, तो Comment में जरूर बताना।
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